
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025: आम आदमी पार्टी (AAP), भारतीय जनता पार्टी (BJP), और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) ने आगामी चुनावों से पहले अपने घोषणापत्र जारी कर दिए हैं। बड़े-बड़े वादों के बीच सवाल यह है कि आखिर कौन सी पार्टी दिल्ली के मतदाताओं के लिए बेहतरीन समाधान और विकास का वादा पूरा कर पाएगी।
जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नज़दीक आ रही है, राजधानी का राजनीतिक माहौल गरमाता जा रहा है। चांदनी चौक की संकरी गलियों से लेकर द्वारका की व्यस्त सड़कों तक हर जगह राजनीतिक हलचल है। पोस्टर, जिंगल्स और विशाल जनसभाओं के बीच पार्टियां मतदाताओं को लुभाने के लिए जी-जान से जुटी हुई हैं। आइए जानते हैं इन पार्टियों के घोषणापत्र में क्या खास है।
राष्ट्रीय सुरक्षा: मजबूत सुरक्षा व्यवस्था और देशभक्ति को बढ़ावा।
बुनियादी ढांचा: बेहतर सड़कें, सार्वजनिक परिवहन सुधार और स्मार्ट सिटी परियोजनाएं।
धार्मिक-सांस्कृतिक पहल: धार्मिक स्थलों के संरक्षण और त्योहारों के आयोजन पर जोर।
आर्थिक विकास: छोटे व्यवसायों को बढ़ावा और निवेश आकर्षित करने की योजना।
महिला सुरक्षा: महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नई पहल।
सामाजिक कल्याण: अल्पसंख्यकों और हाशिये पर रहने वाले समुदायों के लिए कल्याणकारी योजनाएं।
स्वास्थ्य और शिक्षा: सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा प्रणाली में सुधार।
रोजगार: युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाना।
पर्यावरण संरक्षण: प्रदूषण नियंत्रण और हरित ऊर्जा को बढ़ावा।
समावेशी विकास: सभी वर्गों के लिए समान विकास सुनिश्चित करना।
सार्वजनिक सेवाएं: मोहल्ला क्लीनिक और सरकारी स्कूलों में सुधार।
बिजली और पानी: मुफ्त या रियायती दरों पर बिजली और पानी की सुविधा।
भ्रष्टाचार विरोधी अभियान: पारदर्शी और भ्रष्टाचार-मुक्त प्रशासन का वादा।
प्रदूषण नियंत्रण: ऑड-ईवन योजना और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा।
महिला सुरक्षा: महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान।
भाजपा जहां राष्ट्रवाद और बड़े बुनियादी ढांचे पर जोर दे रही है, कांग्रेस समावेशिता और सामाजिक कल्याण पर ध्यान दे रही है। वहीं, आप रोजमर्रा की सार्वजनिक सेवाओं में सुधार और भ्रष्टाचार विरोधी अभियानों को अपनी प्राथमिकता बता रही है।
अब यह देखना होगा कि दिल्ली के मतदाता बुनियादी ढांचे, सामाजिक न्याय या सार्वजनिक सेवाओं के सुधार को अपनी प्राथमिकता मानते हैं। क्या पार्टियां अपने वादों को हकीकत में बदल पाएंगी या ये घोषणापत्र सिर्फ कागजों तक सीमित रह जाएंगे? फैसला दिल्ली के मतदाताओं के हाथ में है।