क्यों छुपाई गई मुग़ल इतिहास में सलीम-अनारकली की दास्तान ? | खरी -खरी with Pooja Varma

Taj- Divided by blood: मुग़ल बादशाहों के इश्क़ और मुश्क का काला सच ?
क्यों छुपाई गई मुग़ल इतिहास में सलीम-अनारकली की दास्तान ? | खरी -खरी with Pooja Varma

मुगल बादशाहों की कहानियों पर बॉलीवुड के फिल्मकारों ने जमकर हाथ आज़माया है और अपना-अपना perception फिल्म के माध्यम से प्रस्तुत करते रहे हैं। अकबर ,सलीम और अनारकली बॉलीवुड के पसंदीदा किरदार रहे हैं ।इस दिशा में 1953 में बनी प्रदीप कुमार -बीना राय अभिनीत ' अनारकली', 1960 में बनी के आसिफ  की दिलीप कुमार ,मधुबाला अभिनीत ' मुग़ल-ए-आज़म' ,2008 में आशुतोष गोवारिकर की ऋतिक - ऐश्वर्या अभिनीत ' जोधा- अकबर ' से लेकर आज तक यानि 70 सालों से हम भारतीय दर्शक वही इतिहास सच मानकर बैठे हैं जो इन फिल्मकारों ने हमे दिखाया और अनारकली - सलीम , जोधा - अकबर, शाहजहां -मुमताज इन सब की मोहब्बत की दास्तान के खुमारी से अबतक बाहर नहीं निकले हैं ।अकबर की महानता को तो text books के साथ- साथ बॉलीवुड ने भी इतना महिमामंडित किया कि हमने सिक्के को पलट कर दूसरा पहलू जानने की कोशिश भी नही की ।

सच तो यह है कि इन फिल्मों में अर्ध सत्य को लेकर तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर अपने मुताबिक ढाल कर प्रेम की चाशनी में डुबोकर पेश किया गया। 

हालांकि ऐतिहासिक सत्य अपने सभी तथ्यों को बिखेरे हमेशा से मौजूद था जिसे फिल्म या टीवी पर किसी भारतीय फिल्मकार ने कुरेदने की हिम्मत कभी नहीं की ।लेकिन अब यह हिम्मत दिखाई है ब्रिटिश फिल्मकार Ron Scalpello ने अपनी नई वेब सीरीज Taj- divided by blood  के माध्यम से जिसे हम Zee5 पर देख रहे हैं। भारत में वर्तमान दशक भ्रम विदारक युग बन कर आया।विशेषकर पिछले 5 वर्षों में भारत के इतिहास को लेकर अनेकानेक भ्रांतियां टूटी है ।

आप चाहे तो आज इस वीडियो को  ताज डिवाइडेड बाय ब्लड वेब सीरीज का review मान सकते हैं लेकिन दरअसल इस सीरीज ने मौका दिया है मुझे कि अकबर, सलीम, अनारकली जैसे किरदारों से जुडे़ इतिहास के पन्नों पर से धूल झाड़ कर आपकी

नज़र के सामने रखूं जो जानकर भी हम-आप भूल गए हैं।…और हां मैं कोई spoiler नही दे रही हूं। उतना ही खोलूंगी जितना इसका ट्रेलर  खुद खोल कर बताता है।आज सुना रही हूं सलीम-अनारकली की असली दास्तान ऐतिहासिक तथ्यो के साथ बिल्कुल खरी-खरी।

ताज वेब सीरीज इतना डिफरेंट और ऑथेंटिक इसलिए है क्योंकि यह किसी भारतीय या पाकिस्तानी कथाकार ने नहीं बनाई बल्कि ब्रिटिश इतिहासकारों के निष्पक्ष संदर्भों से कहानी ली गई है। उदाहरण के तौर पर अकबर के क्रूर चरित्र को वहीं से शुरू किया गया है जब वो चित्तौड़ पर हमला करता है ,8000 राजपूतों को मौत के घाट उतारते वक्त उसने मासूम बच्चों को भी नही बख्शा। …जिसके बाद हजारों राजपूतानियां अकबर के खौफ से जिंदा अग्निकुंड में कूद कर जौहर कर लेती हैं। मुगलिया चारदीवारी के भीतर किस तरह षडयंत्र, धोखाधड़ी, खून खराबा और औरतों के शोषण का इतिहास पनपता रहा है इसमें वो भी देखने को मिलता है,। कहानी छलांग मारकर अकबर के बुढ़ापे से फिर शुरू होती है जहां कमजोर अकबर किस तरह अपने वफादार महामंत्री बीरबल और सेनापति मानसिंह की बदौलत हिंदुस्तान की सियासत पर काबिज़ है, देखते बनता है।

अकबर के तीनों शहजादो- मुराद, सलीम और दानियाल में से तख्त के दावेदार का चुनाव कैसे हो यही मुख्य कहानी है। ताज की खातिर इस लड़ाई में आगरा के किले के अंदर की गंदी राजनीति और खूनी खेल का जो चित्रण Ron Scalpello ने किया है उसे देखकर हम इसे इंडियन ' गेम ऑफ थ्रोंस' कहे तो ग़लत नहीं होगा। जो बात इसे गेम ऑफ थ्रोंस से भी बेहतर बनाती है वह यह कि यह कोई फिक्शन यानी मनगढ़ंत कथा नहीं बल्कि इतिहास है ।हालांकि हर सीरीज की तरह इसमें भी डिस्क्लेमर दिया गया है कि यह कहानी सिर्फ मनोरंजन के लिए बनाई गई है फिर भी जिन्हें इतिहास  में गहन रुचि है वे जानते हैं कि इसमें ऐतिहासिक तथ्य है जिसके साथ फिल्म मेकिंग की थोड़ी आजादी ली गई है।

NCERT की किताबों से ऊपर उठकर जिन्होंने मुगलकालीन इतिहास पर अध्ययन या शोध किया है वे जानते हैं कि सलीम - अनारकली की प्रेम कथा वह नहीं जो के आसिफ ने मुग़ल-ए-आज़म में सुनाई थी। अकबर सलीम से इसलिए नहीं खफा हुए कि उसने एक कनीज़ से प्रेम संबंध बनाए क्योंकि मुगल शाही खानदान में तो कनीज से संबंध बनाना आम बात थी। महल की दासियों को बादशाह और शहजादो की हर तरह से खिदमत करनी होती थी। तो फिर 1953 में बनी अनारकली फिल्म के बाद से लेकर अब तक किसी ने यह नहीं सोचा कि अनारकली से इतना बड़ा क्या अपराध हुआ था जिसकी वजह से उसे जिंदा दीवार में चुनवा दिया गया था?सलीम का गुनाह क्या था जिसके कारण उसे सल्तनत से निष्कासित कर दिया गया था?

ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि सलीम और अनारकली के बीच जाने या अनजाने में एक नापाक और वर्जित प्रेम संबंध स्थापित हुआ था। अनारकली जिसका वास्तविक नाम शरफुन्निसा या नादिरा बेगम भी था दरअसल अकबर की बीवी या रखैल दासी थी और अकबर के बेटे दानियाल की मां भी वही थी। इस तथ्य के अनुसार अनारकली सलीम की सौतेली मां थी। अब सवाल उठता है कि यह तथ्य आया कहां से क्योंकि अकबर या जहांगीर के काल में अनारकली का कोई लिखित इतिहास नहीं मिलता है। अकबर के शाही दरबारी लेखक अबुल फजल ने आईने अकबरी में भी अनारकली के प्रसंग का कोई उल्लेख नहीं किया है। दरबारी लेखक ने क्यों नहीं उल्लेख किया इसका कारण समझ सकते हैं। भला कौन बादशाह अपनी जीवनी में अप्रिय प्रसंग को लिखवाएगा ? परंतु उस काल में हिंदुस्तान आने वाले विदेशी पर्यटकों ने अपने यात्रा वृत्तांत में अनारकली और उससे जुड़े किस्से का वर्णन किया है जो इतिहास में किसी दस्तावेज से कम नहीं माना जाता है।

विलियम फिंच नाम के एक ब्रिटिश पर्यटक और लेखक फरवरी 1611 में लाहौर आए थे। उन्होंने अपने यात्रा वृतांत में लिखा था कि अकबर की पसंदीदा बीवी अनारकली से संबंध रखने के जुर्म में अकबर ने अपने बेटे सलीम को सत्ता से बाहर कर दिया था और अनारकली को दीवार में जिंदा चुनवा दिया था। बाद में जब सलीम जहांगीर बनकर तख्त पर बैठे तो लाहौर में उसी जगह पर उसने अनारकली का मकबरा बनवाया जहां माना जाता है कि अनारकली दीवार के अंदर चुनी गई। इस मकबरे के अवशेष लाहौर में आज भी मौजूद है और वह पूरा इलाका ऐतिहासिक काल से अनारकली बाजार के नाम से आज भी जाना जाता है ।अनारकली के मजार पर  दो तरीके खुदी हुई हैं - पहली हिजरी 1005 यानि 1599 जब अनारकली की मौत हुई थी दूसरी हिजरी 1025 यानि 1615 जब मकबरा बनकर पूरा हुआ था । अनारकली के मजार पर सलीम ने खुदवाया था -' अगर मैं एक बार अपनी प्रिया का चेहरा हथेलियों मे थाम सकूं तो कयामत के दिन तक खुदा का शुक्रगुज़ार रहूंगा'- इसके साथ ही अपना नाम लिखवाया था मजनूं सलीम अकबर।

William Finch की लिखी इस घटना का समर्थन करते हैं एक और ब्रिटिश लेखक Edward Terry जो फिंच के कुछ साल बाद 1625 में लाहौर आए थे। जाहिर है कि यह किस्सा उस वक्त प्रजा के बीच में आग की तरह फैला होगा। Edward Terry ने भी अपने वृतांत में लिखा है कि अकबर ने अपने बेटे सलीम को अपनी सबसे प्यारी पत्नी अनारकली के साथ संबंध रखने की वजह से बेदखल कर दिया था लेकिन मरते वक्त मृत्यु शैय्या पर अकबर ने सलीम की सज़ा माफ कर दी ।

अब तीसरे दस्तावेज की बात करते हैं। एब्राहम एराली नाम के लेखक  'द लास्ट स्प्रिंग - द लाइव्स एंड टाइम्स ऑफ द ग्रेट मुगल्स' नाम की अपनी किताब में यह कहते हैं कि अनारकली ही शहजादा दानियाल की मां थी और उन्होंने अबुल फजल की लिखी एक घटना का संदर्भ भी दिया है जिसके अनुसार अकबर के हरम में दानियाल की मां के कमरे में किसी पागल घुसपैठिए को अकबर द्वारा पकड़े जाने का उल्लेख है एब्राहम एराली के अनुसार यह घुसपैठिया जिसे अकबर ने पकड़ा था वह सलीम ही था जिस पर पर्दा डालने के लिए पागल घुसपैठिया बता दिया गया।

एक और ब्रिटिश लेखक थे सैमुअल परचाज।उन्होंने 1625 में एक किताब का संपादन किया जिसका नाम था - ' परचाज हिज पिलग्रिम्स'। इस किताब में परचाज ने विलियम फिंच की 1611 में लाहौर यात्रा और लाहौर में शेख फरीद की मस्जिद के पास अनारकली की क़ब्र का ज़िक्र किया ।परचाज़ ने भी अनारकली को अकबर के बेटे दानियाल की मां बताया है।

अब पांचवें सबूत की बात करते हैं ' तारीख ए लाहौर' किताब में इतिहासकार अब्दुल लतीफ में भी लिखा है कि अकबर की एक बीवी अनारकली को सलीम से इश्क़ करने की वजह से सजा एं मौत हुई। इसलिए दरबारी लेखक अबुल फजल के आईने अकबरी में अगर अनारकली और सलीम प्रकरण का उल्लेख नहीं किया गया है तो इसका कारण स्पष्ट है और इस वजह से हम अनारकली के अस्तित्व को नकार नहीं सकते और नहीं इस बात से इन्कार कर सकते हैं कि अनारकली सलीम की सौतेली मां थी।

अब इस मौके पर कुछ और तथ्य भी आपके सामने रखना चाहती हैं जिनके संदर्भ विभिन्न पुस्तकों में मिलते हैं। अनारकली से प्रेम होने से पहले सलीम की तीन शादियां हो चुकी थी सलीम की पहली बीवी सेनापति मानसिंह की बहन मान बाई थी। मानसिंह अकबर की राजपूत बीवी हरखा बाई जिसे जोधा बाई भी कहा गया है उनके भाई आमेर के राजकुमार भगवंत दास के पुत्र थे। इस प्रकार मानसिंह जोधाबाई के भाई नहीं थे जैसा कि मुग़ल-ए-आज़म में दिखाया गया था बल्कि भतीजा थे और जोधाबाई ने अपनी भतीजी की शादी अपने बेटे सलीम से करवाई थी। शायद यह भी आप जानते हो कि हरखा या जोधा बाई  अकबर की चौथी बीवी थी  जिसे अकबर ने नाम दिया था मरियम उज ज़मानी। इससे पहले रुकैया और सलीमा बेगम दोनों ही अकबर की चचेरी बहनें थी। रुकैया बेऔलाद रही तो अकबर ने अपनी विधवा चचेरी बहन सलीमा सुल्तान से निकाह किया जो शहजादा मुराद की मां बनी। तीसरी बीवी नादिरा बेगम उर्फ अनारकली थी जो एक कनीज़ रक्काशा यानी नृत्यांगना थी जो शायद ईरान से आई थी।

सलीम यानी जहांगीर की जिंदगी में कुल बीस बीवियां आई। उनकी बीसवीं और आखिरी बेगम थी नूरजहां जिसका असली नाम मेहरून्निसा था। मेहरून्निसा का पहला शौहर शेर अफगान बादशाह जहांगीर का मुलाज़िम था जिसकी मौत के बाद उसकी विधवा मेहरून्निसा से जहांगीर ने निकाह किया। कुछ उल्लेख ऐसा भी मिलता है जिसमें कहा गया है कि जहांगीर ने ही मेहरुन्निसा के शौहर को मरवा डाला था। नूरजहां भी बड़ी सियासतदार थी, खुद मलिका बनते ही अपने पहले पति से जन्मी बेटी लाडली बेगम का निकाह सौतेले बेटे शहजादा शहरयार से करवाया और हमेशा उसे को गद्दी का वारिस बनाने की कोशिश में लगी रही। वैसे ये भी बता दूं कि ख़ुद से बगावत करने के जुर्म में जहांगीर ने अपने सबसे बड़े बेटे खुसरो जिसकी मां मान सिंह की बहन थी, उसकी आंखों में तार घुसेड़ कर अंधा करवाया था और क़ैद में रखा था ।वैसे कुछ समय बाद मुगलिया परंपरा के अनुसार खुसरो की हत्या उसके भाई शहजादा खुर्रम ने की थी जो आगे चल कर शाहजहां के नाम से सुल्तान बना। वही ग्रेट शाहजहां जिसने प्यार की निशानी कहा जाने वाला  ताजमहल बनवाया अपनी उस चौथी पत्नी मुमताज की याद में जो उसके प्यार की चौदहवीं निशानी को जन्म देते वक्त दर्द से चल बसी क्योंकि शाहजहां ने प्रसव के पूर्व मुमताज को 787 km यात्रा करने को मजबूर कर दिया था । ..और आप भूले न होंगे कि मोहब्बत की इमारत रचनेवाले उन कारीगरों को जहांगीर ने कैसी अभूतपूर्व निशानी दी उन सबका दाहिना हाथ कटवा कर। इसी जहांगीर ने सिखों के पांचवे गुरु गुरुअर्जुन देव सिंह को फांसी पर चढ़ाया था ।वैसे  आप भूले न होंगे ने शाहजहां के साथ उसके बेटे औरंगजेब ने क्या किया औरंगजेब ने तख्त हासिल करने के लिए दाराशिकोह ,मुराद बख्श और शाह शुजा का कत्ल कर ताउम्र के लिए बाप को बंदी बना कर रखा ।।औरंगजेब ने अपने बड़े भाई दाराशिकोह का सर कलम कर कैदखाने में बंद अपने बाप शाहजहां को उपहार में भिजवाया था।

.. तो ये है मुगलों के खून से सने खून के रिश्तों और हवस भरी प्रेम कहानियों का सच ।.. यह थी महान मुगलों की महानता की दास्तान। अयोध्या के सिंहासन पर बड़े भाई राम को बिठाने के लिए भरत का त्याग और लक्ष्मण की भक्ति को मुगलों के ये आज के चेले भला क्या समझेंगे ?

अब फिर से लौटते हैं वेब सीरीज 'Taj-divided by blood' पर  जिसमें मुगल सल्तनत की इस दास्तान को बेहतरीन ढंग से प्रस्तुत किया गया है। वेब सीरीज में और भी बहुत कुछ मिलेगा बीरबल और मानसिंह की वफादारी,अबुल फजल और बदायूंनी की मक्कारी ,महाराणा प्रताप की बहादुरी, हुमायूं के दूसरे बेटे यानि अकबर का अपने भाई मिर्जा हाकिम से लड़ाई, दानियाल के अजब प्रेम की गजब कहानी ,अकबर के हरम के भीतर बेगमों की कारस्तानी...और भी बहुत कुछ। दस एपिसोड की कहानी अभी सिर्फ अकबर के दौर का दो तिहाई भाग दिखाती है। लगता है गेम ऑफ थ्रोंस की तरह ही यह दास्तान बहुत लंबी चलने वाली है। यह वेब सीरीज दर्शकों को बहुत रोमांचित करती है क्योंकि The Great Mughals कितने great थे इसका कच्चा चिट्ठा इसमें खुलता नजर आ रहा है।

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