कविता, स्वर एवं संपादन :-डॉ. पूजा वर्मा पतंग और औरत का जीवन एकजैसा है । निर्जीव पतंग के भीतर झांको तोएक सजीव औरत का हृदय धड़कता है। दोनो के जीवन की एक ही कहानी है ।दोनो ही डोर मेंनथी अपनी सीमित परिधि में उड़ान भरने को मजबूर हैं क्योंकि डोर से कट कर गिरने परअपनी दुर्गति की कल्पना से कांप उठती हैं । इसीलिए दोनो ही जीवन पर कई घाव लिए उसआख़िरी दम तक उड़ान भरना चाहती हैं जब तक ....