किसान आंदोलन के पायों पर कितने सपने टिके थे टिकैत जी के राजनीति में जड़ जमाने के , आतंकियों के खालिस्तान के जिन्न को पुनर्जीवित करने के, वामियों ने गिद्ध दृष्टि लगा रखी थी सरकार को नोच कर खाने की। सच में मोदी जी का तो कोई भरोसा ही नहीं है। पहले तो बड़ा कड़क हुआ करते थे अब ऐसे पलटी मारेंगे किसने सोचा था ।