एक ओर कलयुग में बाप और बेटी का रिश्ता भी स्वार्थ की आंच में पिघल कर सिक्के में ढल चुका है... दूसरी ओर ईश्वर भी अपनी मौजूदगी का अहसास दिला ही देते हैं..
एक ओर कलयुग में बाप और बेटी का रिश्ता भी स्वार्थ की आंच में पिघल कर सिक्के में ढल चुका है... दूसरी ओर ईश्वर भी अपनी मौजूदगी का अहसास दिला ही देते हैं..