
Ambubachi Mela, Kamakhya (Assam): असम में गुवाहाटी के कामाख्या मंदिर में प्रशासनिक रोक टोक और अव्यवहारिक नियमों को लादने की वजह से समस्त साधक समाज दुःखी है। बता दे कि मां कामाख्या के मंदिर में अभी अंबुवाची का मेला चल रहा है जहां भारत भर से साधकों का जुटान हुआ है। इस समय माता तीन दिवस के लिए रजस्वला होती हैं और तीन दिन मुख्य मंदिर बंद रहता है किन्तु परिसर में मुख्य मंदिर के चारों ओर परिक्रमा करने की मान्यता और परंपरा हमेशा से बनी हुई है। परंपरा के अनुसार कामाख्या के साधक इन तीन दिनों तक माता को अपने संरक्षण में रखते हैं।
तीन दिन बाद जब मंदिर का पट खुलता है तो श्रद्धालु माता के दर्शन कर परिक्रमा पूर्ण करते हैं। किंतु प्रशासन ने फिलहाल कई जगह पर बैरियर लगा रखा है जिस से मंदिर की पूरी परिक्रमा संभव ही नहीं है। मंदिर में तैनात पुलिस आम जनता को आधे रास्ते से मुड़कर जाने के लिए मजबूर कर रही है। परिक्रमा पूरी न होने के कारण आम जनता और साधक बहुत विचलित हैं। लेकिन बात यहीं तक नहीं है मंदिर- परिसर में बैठे साधकों को रात के 1:00 बजे जबरन बाहर कर दिया जा रहा है। साधक बताते हैं कि ऐसा पहली बार किया जा रहा है जबकि पहले अंबुवाची के दौरान मंदिर परिसर रात भर खुला रहता था।
इतना ही नहीं साधक खुलकर प्रशासन पर यह भी आरोप लगा रहे हैं कि वीआईपी संत कैलासानंद गिरी को परिक्रमा की सुविधा देने के लिए आम जनता को मंदिर में प्रवेश ही निषेध कर दिया जा रहा है। बाबा कैलासानंद गिरी को विभिन्न रिपोर्ट्स में प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के निकटवर्ती धर्मगुरु बताया गया है, और मीडिया सूत्रों के अनुसार, उन्हें हाल के वर्षों में विभिन्न सरकारों द्वारा कई मौकों पर Y श्रेणी की सुरक्षा भी प्रदान की गई है।
मां कामाख्या के दरबार में वीआईपी संस्कृति का यह खेल देखकर बड़ी संख्या में दूर-दूर से पहुंचने वाले सामान्य श्रद्धालु क्षुब्ध हैं। गौर तलब है कि मां कामाख्या का दरबार अनंत काल से अपने भक्त और साधकों के लिए सदा सुलभ और परम आनंदनीय रहा है किंतु इस बार भीड़ नियंत्रण के नाम पर भक्तों को पीड़ित किया जा रहा है।
उन्हें नीलांचल पर्वत पर चढ़ने से पूर्व नीचे ही रोक दिया जा रहा है। जिन लोगों को आने दिया जा रहा है उन्हें भी इस गर्मी में बिना जूते के नंगे पैर ऊपर भेजा जा रहा है। आरोप है कि प्रशासन द्वारा तरह - तरह की बंदिशों को लगाकर साधक और श्रद्धालुओं को माता के दर्शन और परिक्रमा सुख से वंचित किया जा रहा है।