
केरल के कोझिकोड जिले से एक बेहद चौंकाने वाली खबर सामने आई है। यहां ब्रेन-ईटिंग अमीबा (दिमाग खाने वाला अमीबा) के संक्रमण से 9 साल की बच्ची की मौत हो गई। यह एक बेहद दुर्लभ और घातक बीमारी है। इसके अलावा राज्य में 8 और मरीजों में इस संक्रमण की पुष्टि हुई है। घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग ने चेतावनी जारी कर लोगों को सुरक्षा गाइडलाइंस का पालन करने की अपील की है।
नेगलेरिया फाउलेरी एक अमीबा है जो झीलों, नदियों और गर्म झरनों जैसे गर्म व मीठे पानी के स्रोतों में पाया जाता है। यह मिट्टी में भी मौजूद होता है। इसे "स्वतंत्र जीव" माना जाता है क्योंकि इसके जीवित रहने के लिए किसी मेज़बान की आवश्यकता नहीं होती।
इस अमीबा से संक्रमित लोगों में प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफेलाइटिस (PAM) नामक स्थिति विकसित हो जाती है। यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र का बेहद गंभीर संक्रमण है और लगभग हमेशा घातक साबित होता है।
भारत में PAM का पहला मामला 1971 में सामने आया था, जबकि केरल में यह संक्रमण पहली बार 2013 में दर्ज किया गया था।
आजतक की रिपोर्ट के अनुसार, यह बीमारी मेनिंगोएन्सेफेलाइटिस नामक संक्रमण के कारण होती है। अमीबा ठहरे हुए पानी में पनपता है और नहाने या तैरने के दौरान नाक के जरिए शरीर में प्रवेश कर दिमाग तक पहुंच सकता है।
डॉक्टर्स का कहना है कि यह बीमारी कम्युनिकेबल नहीं है यानी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलती। लेकिन एक बार संक्रमण हो जाने पर जान बचने की संभावना बेहद कम होती है। इस बीमारी की मृत्यु दर बहुत अधिक है।
संक्रमण के बाद लक्षण दिखाई देने में सामान्यतः 5 से 10 दिन लगते हैं।
बुखार, तेज सिरदर्द, उल्टी, गर्दन में अकड़न और तेज रोशनी से परेशानी।
बच्चों में भूख न लगना, खेलकूद से दूरी और शरीर में असामान्य सुस्ती।
याददाश्त कमजोर होना, दौरे पड़ना।
नर्वस सिस्टम को गंभीर रूप से प्रभावित कर अंततः मृत्यु का कारण बनना।
इस खतरनाक संक्रमण को देखते हुए केरल स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को ठहरे हुए पानी में नहाने या तैरने से बचने की सलाह दी है।
स्विमिंग पूल का नियमित क्लोरीनेशन सुनिश्चित करने,
बच्चों को स्विमिंग के दौरान नाक पर क्लिप लगाने,
और गंदे पानी में डुबकी लगाने से परहेज करने की हिदायत दी गई है।