क्या पटना का पूरा कायस्थ समाज भाजपा से नाराज़ है ? क्या सच में पूरा कायस्थ समाज भाजपा के खिलाफ है? या फिर ये है प्रशांत किशोर का गेम प्लान - इमोशनल अत्याचार!आज इसकी भीतरी तहें खोलूंगी…बोलूंगी खरी-खरी।
बिहार चुनाव में इस बार एक मुद्दा बहुत चर्चा में है कि इस विधान सभा चुनाव में कुम्हरार और पटना साहिब विधान सभा सीट से भाजपा ने किसी कायस्थ को उम्मीदवार नहीं खड़ा किया है।
पटना शहरी क्षेत्र के तीन विधान सभा सीट बांकीपुर ,पटना साहिब और कुम्हरार से परंपरागत रूप से कायस्थ उम्मीदवार ही जीतते आए हैं । लोकसभा चुनाव में भी पटना से हर राजनीतिक दल कायस्थ ही उम्मीदवार उतारते रहे हैं। ध्यान देने वाली बात ये है कि कायस्थ समाज हमेशा से भाजपा का loyal voter रहा है। और ये भी सच है कि कायस्थ भारतीय समाज का ,वो सबसे शिक्षित वर्ग हैं जो जाति देखकर कभी वोट नहीं देता …समाज ,प्रदेश और देश का हित ही देखता है।
लेकिन इस बार कुछ अलग हुआ है। पटना साहिब से भाजपा के प्रत्याशी हैं रत्नेश कुशवाहा और कुम्हरार से भाजपा प्रत्याशी हैं संजय गुप्ता जो जाहिर है कायस्थ जाति से नहीं हैं। हां बांकीपुर से इस बार भी भाजपा के उम्मीदवार नितिन नबीन हैं जो कायस्थ जाति के हैं और पहले भी चार बार विधायक चुने जा चुके हैं।
कुम्हरार से भाजपा ने कायस्थ उम्मीदवार क्यों नहीं खड़ा किया इसकी वजह भाजपा ऑफिशियल तबके से जो निकल कर आई है वो ये है कि जातीय जनगणना होने के बाद पता चला कि कायस्थ लोगों के बड़ी संख्या में बिहार से बाहर migration की वजह से कायस्थ वोटर्स की संख्या कम हुई है जिससे चुनावी समीकरण बदल चुका है। और भाजपा वो पार्टी है जो हमेशा updated रहती है।
लेकिन मौके का फायदा उठाते हुए प्रशांत किशोर ने कुम्हरार सीट से बिहार के प्रख्यात गणितज्ञ डॉ. के.सी.सिन्हा को बतौर कायस्थ उम्मीदवार जनसुराज से खड़ा किया है।
PK चुनावी रणनीति के विशेषज्ञ हैं ये सभी जानते है।वे अपने क्लाइंट्स - दूसरे राजनीतिक दलों के लिए पूर्व में कितने तिकड़म लगा चुके हैं तो आज अपनी पार्टी के लिए कोई कसर क्यों छोड़ेंगे?
उन्होंने कायस्थ वोटर्स को भाजपा से दूर करने और कायस्थ वोट को अपनी झोली में बटोरने के लिए बड़ा game plan बनाया है। कायस्थ को उनके स्वभाव के विपरीत जाति के नाम पर भड़काने की ,जाति के नाम पर जनसुराज के पक्ष में वोट लेने की कोशिश की जा रही है।
कुछ जाति आधारित चुनावी WhatsApp ग्रुप्स बनाए गए हैं जिनके माध्यम से कायस्थ जाति के लोगों का ब्रेन वाश करने की पुरज़ोर कोशिश हो रही है। इनमें लगभग 700 से अधिक कायस्थ सदस्यों का एक बड़ा ग्रुप भी है - ' कुम्हरार के कायस्थ'
ये ग्रुप Pro -Kayasth से ज़्यादा Anti BJP और Pro-Jan Suraaj है।
इसमें जनसुराज के प्रदेश अध्यक्ष है जो अपना एजेंडा चलाते हैं। कायस्थ के नाम पर एकजुट होने की अपील करते हुए चालाकी से जनसुराजवाले किसी भी हालत में सिर्फ भाजपा को हराने की अपील करते रहते हैं । कुछ महाशय बांकीपुर के भाजपा के कायस्थ प्रत्याशी को ही डूबा देने की बात करते हैं। यानी एक सीट पर कायस्थ को इसलिए जिताए क्योंकि वो जनसुराज का है..दूसरे सीट पर 4 बार से विधायक कायस्थ प्रत्याशी को इसलिए डूबा दे क्योंकि वो भाजपा का है।
ऐसा भ्रम फैलाया जा रहा है जैसे कायस्थ का अस्तित्व के सी सिन्हा के जीतने से ही बचेगा वरना संतति ,वंश सब समाप्त हो जाएगा। भाई कुछ लोग प्रशांत किशोर के कृपा पात्र होंगे इसका मतलब ये नहीं कि अपने एजेंडा और स्वार्थ के लिए डायलॉग मार- मार के पूरी कायस्थ कम्युनिटी के दिमाग में ये घुसाने की कोशिश करे कि K C Sinha की जीत-हार पर ही हमारा अस्तित्व टिका है और हमारी जिंदगी का आखिरी मौका,आखिरी युद्ध है। रवि शंकर प्रसाद ,संजय मयूख..नितिन नबीन, ऋतुराज सिन्हा का इस ग्रुप में विरोध कर रहे ! कहते हैं कायस्थ इन सब का बहिष्कार करे,जूतों की माला पहनाए..क्यों..?..ये कायस्थ नहीं हैं क्या? ...इससे तथाकथित कायस्थ का अस्तित्व ..प्रतिष्ठा का कुछ नहीं बिगड़ेगा? मूर्ख समझ रखा है हमलोगोंं को ?...जैसे नचाएंगे नाचेंगे ? game खेल रहे हैं ये लोग .. प्रशांत किशोर के paid PR agency के part है...74 साल की आयु में सिन्हा सर को विश्राम करना चाहिए।अवकाशप्राप्त जीवन के मजे लेना चाहिए ।
यदि K C Sinha sir को 'पद्मश्री ' दिलाने का मुहिम चलाया जाएगा तो हम सभी कायस्थ सहयोग करेंगे किन्तु विधायकी के लिए ....? समझने की जरूरत है कि उनके नाम पर कायस्थ का जीना - मरना नहीं टिका हुआ है।
ग्रुप्स में बूथ प्रबंधन के लिए वालंटियर्स का आह्वान कर रहे । Voters बूथ प्रबंधन कब से करने लगे ..? वो इसलिए क्योंकि इस तरह के ग्रुप के सदस्यों में से बहुत सारे जनसुराज के कार्यकर्ता हैं जो कायस्थ के नाम पर वोट manipulation में लगे हैं..! पता चल रहा है इनके जिम्मे साम..दाम..दंड..भेद..किसी भी तरह भाजपा के वोट को जनसुराज की ओर convert करना है।
इस ग्रुप में एडमिन लोग ये चाहते नहीं कि कोई भी बुद्धि का उपयोग करे,कोई प्रश्न करे, तर्क करे या सही तस्वीर पेश करे। जो भी इनकी मंशा के ख़िलाफ़ बोलता है उस पर सब मिलकर टूट पड़ते हैं,उसे ग्रुप से remove कर देते हैं।ग्रुप में ही डेमोक्रेसी का गला घोंट रहे ...धरातल पर क्या ख़ाक़ डेमोक्रेसी बचाएंगे ! यहां सोचो मत..बोलो मत... बस फलां को जिताना है.. जिताना है! कोई कुछ बोले तो कहा जाता है - ' ज़्यादा दिमाग़ मत लगाइए' बस वोट इधर गिराइए। ' भाईसाहब! हम कायस्थ हैं दिमाग़ ही हमारी पूंजी है और वो तो हमसे बिना पूछे लगेगा ही… और इसीलिए 730 कायस्थ सदस्यों के ग्रुप सिर्फ 15से 20 लोग उछल रहे..10 - 15 कभी कभी हां.. हूं..कर रहे और लगभग 700 कायस्थ मौन रह कर सिर्फ observe कर रहे और ये वो लोग हैं जो वोट के दिन सिर्फ अपने दिल की सुनेंगे।
कायस्थ प्रबुद्ध वर्ग है, यादव की तरह बुद्धि को ताखे पर रख कर जाति के नाम पर वोट नहीं कर सकता। के सी सिन्हा को वोट देने से कायस्थ का उत्थान कैसे होगा इसका जवाब किसी के पास नहीं ..कहते हैं -वो जिताने के बाद देख लेंगे ।शत्रुघ्न सिन्हा,अरुण कुमार सिन्हा,रवि शंकर प्रसाद आदि सबके होते हुए कायस्थ का selectively कुछ उत्थान हुआ था क्या- कोई नहीं बताएगा क्योंकि उत्थान का काम पार्टी करती है कोई सिंगल नेता नहीं कर सकता,वो सिर्फ व्यक्तिगत तौर पर किसी किसी को favour कर सकता है।
कायस्थ मूर्ख नहीं होता..वो जानते है कि अपना अस्तित्व बचाने के लिए उन्हें स्वयं मेहनत करना है,सफल बनना है..कोई नेता ,विधायक जीतने के बाद हमारी क्या व्यक्तिगत मदद करेगा इस भरोसे नहीं बैठा है।
इन कायस्थ ग्रुप्स के माध्यम से कायस्थों को इमोशनली ब्लैकमेल करके असली मक़सद किसी भी तरह सिर्फ भाजपा को हराना है.. इसी से पता चलता है कि ये कायस्थ के नाम पर भाजपा विरोधी एजेंडा का अनुसरण कर रहे और लोगों को बरगला रहे । मैने प्रशांत किशोर को इंटरव्यू में बोलते सुना जिसमें उन्होंने कहा कि एक बड़ी कम्युनिटी वर्तमान सरकार के विरोध में आवाज उठा रही जो अगर वोट में convert हुआ तो जनसुराज जीत जाएं। इसका अर्थ है कि प्रशांत किशोर को इस तरह के सभी ग्रुप की जानकारी है और इन सब के पीछे PK की PR एजेंसी काम कर रही। आप सिर्फ कुम्रहार देख रहे पर वे हर सीट पर उम्मीदवार की जाति या धर्म अनुसार इसी तरह ग्रुप बनाकर भावनात्मक खेल खेल रहे।
अगर जनसुराज या निर्दलीय कायस्थ उम्मीदवार जीत कर राजद के साथ मिलकर सरकार बना ले तो उस जंगल राज के जिम्मेवार हम ही होंगे जिसने जात देखा लेकिन ये नहीं देखा कि तिलक मिटा देने वाले.. गोल टोपी धारण करने वाले ..बिहार के केजरीवाल..जनसुराज वाले प्रशांत किशोर यदि सत्ता में आते हैं तो हिंदू का कितना बड़ा नुकसान है..जाति का आचार डालेंगे क्या जब हिन्दू ही सुरक्षित न होगा? जिस वजह से कायस्थों ने कांग्रेस का त्याग किया था और भाजपा को अपनाया था। क्या जनसुराज के रूप में फिर उसी विचारधारा को आमंत्रण देना चाहते हैं?
वर्तमान में भाजपा+जेडीयू की सरकार और केंद्र के सहयोग से बिहार विकास के मार्ग पर बढ़ रहा है इतना तो हम सब देख रहे हैं..खामियां है..पर नीयत सही है कम से कम।आज हिन्दू इज़्ज़त और सुकून से जी रहा । जाति के नाम पर जो लोग इस सुकून को छीनना चाहते हैं वोअपनीआत्मा में झांके पहले।
जिनको प्रशांत किशोर से पैसे मिले हो वो जो उछल कूद मचाना चाहे मचाए लेकिन बाकी कायस्थ लोग के पास न इतनी फुरसत है न इतनी मूढ़ता कि admins के इशारे पे बैल की तरह सिर झुकाए हुकुम बजाए।
कायस्थ बंधुगण ! आंखे खोलिए!हमारा वोट सिर्फ हमारा अधिकार है ..आप किसी के कहने से नहीं बल्कि बिहार के हित में ,देश के हित में,हिन्दू के हित में अपनी मर्ज़ी से जिसे भी वोट देना चाहे दीजिए!
जय हिंद