World Music Day पर जानिए उन बिहारी सिंगर्स को, जिनकी धुनें इंडिया से लेकर इंटरनेशनल स्टेज तक छाई हैं Jaano Junction
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बिहार के इन सुरों ने पार की सीमाएं – World Music Day पर इन ग्लोबल 'बिहारी' स्टार्स को जानिए

World Music Day 2025: पटना से ग्रैमी, दरभंगा से दरबार फेस्ट तक - ये बिहारी म्यूज़िशियन सिर्फ लोकल नहीं, इंटरनेशनल लेवल के स्टार हैं| वर्ल्ड म्यूज़िक डे पर इन बिहारी टैलेंट को सेलिब्रेट कीजिए

Rupam Kumari

21 जून – वर्ल्ड म्यूज़िक डे (World Music Day), वह दिन जब पूरी दुनिया संगीत का जश्न मनाती है, लेकिन अगर बात संगीत की हो और बिहार का ज़िक्र न हो, तो कहानी अधूरी रह जाती है। बिहार की मिट्टी ने ऐसे कलाकार पैदा किए हैं, जिन्होंने तालीम से ज़्यादा तासीर से काम लिया और अपने सुरों के दम पर न सिर्फ देश में, बल्कि दुनिया भर में पहचान बनाई। ये म्यूज़िशियन सिर्फ कलाकार नहीं, बिहार की सांस्कृतिक विरासत के असली झंडाबरदार हैं, जिन्होंने दरभंगा, सुपौल, छपरा और पटना जैसे इलाकों से निकलकर वर्ल्ड स्टेज पर ये साबित कर दिया कि बिहार के सुर कहीं भी गूंज सकते हैं। इस वर्ल्ड म्यूज़िक डे पर आइए, उन बिहारी सितारों को जानें, जिनके सुरों ने सीमाओं से परे जाकर बिहार का मान बढ़ाया है।

संदीप दास (Sandeep Das)

संदीप दास (Sandeep Das)

संदीप दास- पटना में जन्मे तबला वादक व कंपोजर संदीप दस फिलहाल बॉस्टन (मैसाचुसेट्स, अमेरिका) में रहते हैं| संदीप दास को मशहूर सेलो वादक यो-यो मा के साथ The Silk Road Ensemble के एल्बम Sing Me Home के लिए 59वें ग्रैमी अवॉर्ड्स (2017) में "बेस्ट वर्ल्ड म्यूज़िक एल्बम" का पुरस्कार मिला। इससे पहले उन्हें 2005 और 2009 में भी ग्रैमी अवॉर्ड के लिए नामांकित किया जा चुका है। 

शारदा सिन्हा (Sharda Sinha)

शारदा सिन्हा (Sharda Sinha)

शारदा सिन्हा - भारत की प्रसिद्ध लोकगायिका शारदा सिन्हा, जिन्हें बिहार की स्वरकोकिला के नाम से जाना जाता था, का जन्म बिहार के सुपौल ज़िले में हुआ था। उन्होंने छठ पर्व के गीतों से लेकर शादियों और त्योहारों में गाए जाने वाले पारंपरिक लोकगीतों को अपनी सुरीली आवाज़ से एक नई पहचान दी। उनके गाए छठ पूजा के गीत न केवल बिहार और पूर्वांचल में लोकप्रिय हुए, बल्कि विदेशों में भी भारतीय प्रवासी समुदाय के बीच बेहद पसंद किए गए

अपने अद्भुत योगदान के लिए उन्हें कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा गया, जिनमें प्रमुख हैं: पद्मश्री (1991), पद्म भूषण (2018), संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार

दुख की बात है कि अब शारदा सिन्हा हमारे बीच नहीं रहीं, लेकिन उनकी आवाज़ और उनके गीतों के ज़रिए वो हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेंगी। उन्होंने भारतीय लोकसंगीत को जो समृद्धि दी, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।

गैरी बॉयल (Gary Boyle)

गैरी बॉयल (Gary Boyle)

गैरी बॉयल - क्या आप जानते है पटना  से निकले और  दुनिया भर के जैज़ मंचों पर छाने वाले गैरी  बॉयल एक फेमस ब्रिटिश जैज़ फ्यूजन गिटारिस्ट का जन्म पटना में हुआ है। उन्होंने दुनिया के टॉप म्यूजिशियंस जैसे कीथ टिपेट और सॉफ्ट  मशीन के साथ काम किया । इन्होंने 70s में अपनी बैंड “आइसोटोप” बनाई  जो ब्रिटेन से लेकर अमेरिका तक छा गई।

पंडित प्रेम कुमार मलिक (Pandit Premkumar Mallick)

पंडित प्रेम कुमार मलिक (Pandit Premkumar Mallick)

प्रेम कुमार मलिक - दरभंगा घराने से जुड़े प्रेम कुमार मलिक भारतीय शास्त्रीय संगीत के अत्यंत प्रतिष्ठित और समर्पित कलाकारों में से एक हैं। उन्होंने ध्रुपद के साथ-साथ ख्याल, ठुमरी, टप्पा और दादरा जैसे गायन शैलियों में भी उत्कृष्टता हासिल की है। उनकी गायकी में पारंपरिकता और आत्मा की गहराई का ऐसा संगम देखने को मिलता है, जो श्रोताओं को भावविभोर कर देता है।

प्रेम कुमार मलिक की आवाज़ न केवल भारत के शास्त्रीय मंचों पर गूंजी है, बल्कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारतीय संगीत की गरिमा को ऊंचा उठाया है। विशेष रूप से, ब्रिटेन में आयोजित ‘दरबार फेस्टिवल’ में उनके ध्रुपद गायन को जबरदस्त सराहना मिली, जहाँ उन्होंने पश्चिमी श्रोताओं को भी भारतीय रागों की गंभीरता और आध्यात्मिकता से रूबरू कराया।

उनकी प्रस्तुतियाँ सिर्फ संगीत नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव बन जाती हैं। प्रेम कुमार मलिक का योगदान सिर्फ एक कलाकार के रूप में नहीं, बल्कि दरभंगा घराने की परंपरा और ध्रुपद जैसे दुर्लभ विधा के संवाहक के रूप में भी अतुलनीय है।

उनकी साधना, संयम और सौंदर्यबोध ने उन्हें एक ऐसा वैश्विक सांस्कृतिक राजदूत बना दिया है, जिनके जरिए भारतीय शास्त्रीय संगीत की गूंज दुनिया के कोने-कोने तक पहुँची है।

उस्ताद बिस्मिलाह खां (Ustad Bismillah Khan)

उस्ताद बिस्मिलाह खां (Ustad Bismillah Khan)

उस्ताद बिस्मिलाह खां -  डुमरांव में जन्मे बिस्मिल्ला खा ने 15 अगस्त 1947 को आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री ‘पंडित जवाहरलाल नेहरू’ के ऐतिहासिक लाल किले से झंडा फहराने के बाद वहाँ शहनाई बजाई थी। उस्ताद बिस्मिल्लाह खां – दुनिया के सामने शहनाई का जादू बिखेरने वाले पहले भारतीय शहनाई वादक थे जिन्हें लिन्कन सेंटर (USA) में आमंत्रित किया गया। ईरान ने इन्हें “तालार मौसीकी” से सम्मानित किया है।

भिखारी ठाकुर (Bhikhari Thakur)

भिखारी ठाकुर (Bhikhari Thakur)

भिखारी ठाकुर-  भिखारी ठाकुर, बिहार की धरती से जन्मे ऐसे लोक कलाकार थे जिन्हें “भोजपुरी के शेक्सपियर” और लोकनाट्य के पितामह के रूप में जाना जाता है। छपरा ज़िले के एक छोटे से गांव से निकलकर उन्होंने भोजपुरी रंगमंच, गीत और कविता को नई ऊँचाइयाँ दीं।

उनके प्रसिद्ध नाटक जैसे बिदेसिया, बेटी बेचवा और नारी शिक्षा आज भी भोजपुरी समाज की सांस्कृतिक रीढ़ हैं। उनके काम में समाज के दर्द, सुधार और लोकधुन का गहरा समावेश था।

भिखारी ठाकुर ने यह साबित किया कि कला अगर जनमानस से जुड़ी हो, तो वो सीमाओं से परे जाकर अमर हो जाती है

इनके अलावा बिहार की धरती ने और भी कई बेहतरीन कलाकारों को जन्म दिया है, जो आज न केवल देश में बल्कि दुनियाभर में अपने संगीत का डंका बजा रहे हैं। इनमें बॉलीवुड के लोकप्रिय गायक उदित नारायण, जिन्होंने "पापा कहते हैं..." जैसे हिट गानों से अपनी अलग पहचान बनाई, सोशल मीडिया सेंसेशन और लोकगायिका मैथिली ठाकुर, शास्त्रीय परंपरा के साधक सियाराम दास, और धमाकेदार पंजाबी पॉप से अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाने वाले दलेर मेहंदी जैसे नाम शामिल हैं।

ये सभी कलाकार इस बात का उदाहरण हैं कि बिहार का संगीत सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि एक ताक़त है, जो सीमाओं से परे जाकर दिलों को जोड़ता है। संगीत की इस विरासत को आगे बढ़ाते हुए ये बिहारी कलाकार आज भी पूरी दुनिया में अपने टैलेंट का परचम लहरा रहे हैं।

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