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AI का भविष्य: Deepseek या ChatGPT? क्या भारत को भी लेकर आना चाहिए अपना AI?

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की दुनिया तेज़ी से बदल रही है, और नए तकनीकी और प्लेटफ़ॉर्म सामने आ रहे हैं। AI का पहला model ChatGPT और चीनी AI model Deepseek, और क्या भारत भी अपना AI Model बना पाएगा? इन पर लोगों की क्या राय है, आइए जानते हैं।

Shreya Priya Singh

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की दुनिया तेज़ी से बदल रही है, और नए तकनीकी और प्लेटफ़ॉर्म सामने आ रहे हैं। चैटजीपीटी, जो नवंबर 2022 में लॉन्च हुआ, एक लोकप्रिय एआई वार्तालापकर्ता के रूप में उभरा है। लेकिन अब, एक नया खिलाड़ी मैदान में उतर रहा है: डीपसीक। यह नया उपकरण मुफ्त में उन्नत एआई मॉडल की शक्ति प्रदान करता है।

डीपसीक: कौन है यह नया विकल्प?

डीपसीक एक अत्याधुनिक एआई उपकरण है जो विभिन्न प्रकार के कार्यों में विशेष सहायता प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह एक चीनी निगम हाई-फ़्लायर द्वारा विकसित किया गया है, और यह डेटा विश्लेषण, उद्यम समाधान, या उद्योग-विशिष्ट कार्यों जैसे विशिष्ट अनुप्रयोगों के लिए तैयार किया गया है।

चैटजीपीटी: एक लोकप्रिय विकल्प

चैटजीपीटी दुनिया के सबसे बहुमुखी और व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले एआई चैटबॉट में से एक है। यह अपनी संवादात्मक क्षमताओं और अनुप्रयोगों की विस्तृत श्रृंखला के लिए जाना जाता है।

हमने बेनेट विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और कुछ छात्रों से बातचीत की और उनके AI Models पर राय लिया।

डीपसीक बनाम चैटजीपीटी: कौन है बेहतर?

डॉ. संजय वर्मा, बेनेट विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर हैं, चैटजीपीटी और डीपसीक जैसे प्रमुख भाषा मॉडलों (एलएलएम) के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें बताईं। उनके अनुसार:

चैटजीपीटी: अग्रणी एलएलएम: चैटजीपीटी पहला खोजा गया एलएलएम है, जिसने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के क्षेत्र में क्रांति ला दी। इसने कोडिंग और रिसर्च को काफी आसान बना दिया है। इससे पहले, हमारे पास ऐसा कोई एआई उपकरण नहीं था जो हमें विभिन्न भाषा मॉडल प्रदान कर सके। चैटजीपीटी की सफलता के बाद ही जेमिनी, को-पायलट और क्लॉड जैसे अन्य एआई टूल्स आए।

डीपसीक: चीनी एआई का किफायती विकल्प: डीपसीक, एक चीनी एआई है, जो चैटजीपीटी के लगभग 2.5 साल बाद आया है। यह चैटजीपीटी की तुलना में काफी सस्ता है, चाहे इसकी निर्माण लागत हो (भारतीय मूल्यों के अनुसार लगभग 52 करोड़) या इसके अन्य संस्करणों की कीमत (डीपसीक-आर1 को छोड़कर)। दूसरी ओर, चैटजीपीटी को बनाने में 10 गुना अधिक लागत आई है, और इसके कुछ ही संस्करण सस्ते हैं।

उपयोग में आसानी: चैटजीपीटी बनाम डीपसीक: चैटजीपीटी को लैपटॉप पर चलाना बेहद आसान है, जबकि डीपसीक को डाउनलोड करने और साइन-अप करने की आवश्यकता होती है, जो चैटजीपीटी में नहीं है।

यदि डीपसीक को गोपनीयता के मुद्दों के लिए चिह्नित किया गया है, तो इन पहलुओं की जांच करना आवश्यक है?

नैवेद्य पुरोहित, बेनेट विश्वविद्यालय के पत्रकारिता और जन संचार का छात्र, चैटजीपीटी और डीपसीक के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें बताईं। उनके अनुसार:

यदि रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि डीपसीक में प्रमुख गोपनीयता मुद्दे हैं, तो इस पर विचार करना महत्वपूर्ण है कि ट्रांसपेरेंसी उपयोगकर्ताओं को डेटा एकत्र करने, उपयोग करने और संग्रहीत करने में पारदर्शिता पर ध्यान देना चाहिए। कंपनियों को अपनी डेटा प्रथाओं के बारे में स्पष्ट रूप से बताना चाहिए। उन्हें यह बताना चाहिए कि वे किस प्रकार का डेटा एकत्र करते हैं, वे इसका उपयोग कैसे करते हैं, और वे इसे किसके साथ साझा करते हैं। हमें उपयोगकर्ता डेटा को उल्लंघनों और अनधिकृत पहुंच से बचाने के लिए सुरक्षा उपायों का मूल्यांकन करना चाहिए। कंपनियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके पास डेटा को सुरक्षित रखने के लिए मजबूत सुरक्षा उपाय हैं।

ChatGPT और Deepseek में से आप कोन से Models को चुनते हो?

पारुल, बेनेट विश्वविद्यालय के पत्रकारिता और जन संचार का छात्र, उनके अनुसार: अगर मुझे ChatGPT और Deepseek में से किसी एक को चुनना हो, तो मैं ChatGPT को चुनूंगा। इसके कई कारण हैं:

अनुसंधान में अग्रणी: ChatGPT ने AI के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण और ज़मीनी अनुसंधान किए हैं। उनके GPT-3 और GPT-4 जैसे मॉडलों ने इंडस्ट्री में एक नया मानक स्थापित किया है। ये मॉडल अपनी भाषा समझने और उत्पन्न करने की क्षमताओं के लिए जाने जाते हैं।

मजबूत समुदाय और पारिस्थितिकी तंत्र: ChatGPT के पास एक बड़ा और सक्रिय समुदाय है। इससे उपयोगकर्ताओं को बहुत सारे समर्थन और संसाधन मिलते हैं। इसके अलावा, OpenAI का एक विस्तृत पारिस्थितिकी तंत्र है, जिसमें डेवलपर्स और शोधकर्ताओं के लिए कई उपकरण और API उपलब्ध हैं।

विश्वसनीयता और प्रतिष्ठा: ChatGPT एक लंबे समय से AI के क्षेत्र में काम कर रहा है और उसने अपनी विश्वसनीयता और प्रतिष्ठा बनाई है। उनके मॉडलों का उपयोग विभिन्न उद्योगों में किया जा रहा है और वे लगातार बेहतर होते जा रहे हैं।

Deepseek भी एक अच्छा विकल्प है, और यह कुछ मामलों में ChatGPT से बेहतर हो सकता है। Deepseek के मॉडल अक्सर अधिक किफायती होते हैं और कुछ विशिष्ट कार्यों में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। हालांकि, ChatGPT के पास अधिक व्यापक अनुभव, संसाधन और समर्थन है, जो इसे अधिकांश उपयोगकर्ताओं के लिए एक बेहतर विकल्प बनाता है।

क्या ChatGPT और Deepseek के बीच वाकई में तगड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है?

डॉ संजय वर्मा, नैवेद्य पुरोहित और पारुल के अनुसार: ChatGPT और Deepseek के बीच वाकई में तगड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है, खासकर AI टूल्स और सर्विसेज़ को अलग-अलग इंडस्ट्रीज़ और एप्लीकेशंस में पहुंचाने के मामले में। दोनों ही कंपनियां अपनी-अपनी ताकत और खास पेशकशों के साथ बाज़ार में हैं और एक-दूसरे को कड़ी टक्कर दे सकती हैं।

मार्केट शेयर की जंग:

सबसे पहली और अहम बात है मार्केट शेयर की लड़ाई। दोनों ही कंपनियां अलग-अलग सेक्टर्स में अपना दबदबा कायम करना चाहेंगी, जैसे कि हेल्थकेयर, फाइनेंस, एजुकेशन वगैरह। हर सेक्टर में ये कंपनियां बेहतरीन AI सॉल्यूशंस देने की कोशिश करेंगी, ताकि ज़्यादा से ज़्यादा कस्टमर्स को अपनी तरफ खींच सकें।

नए फीचर्स और काबिलियत:

दूसरी तरफ, ये होड़ नए-नए फीचर्स और कैपेबिलिटीज लाने की भी होगी। ChatGPT और Deepseek दोनों ही लगातार कोशिश करेंगे कि वो अपने AI टूल्स को और बेहतर बनाएं, उनमें नई खूबियां डालें, ताकि यूज़र्स को और भी ज़्यादा फायदा हो सके। जो कंपनी ज़्यादा इनोवेटिव और यूज़र-फ्रेंडली फीचर्स लाएगी, उसके आगे निकलने के चांसेज़ बढ़ जाएंगे।

कस्टमर को लुभाने की दौड़:

आखिर में, दोनों कंपनियों का मकसद होगा कस्टमर्स को अपनी तरफ अट्रैक्ट करना। इसके लिए वो अलग-अलग मार्केटिंग स्ट्रेटेजीज़ अपनाएंगी, जैसे कि डिस्काउंट्स, ऑफर्स, और बेहतर कस्टमर सपोर्ट। जो कंपनी कस्टमर्स को ज़्यादा वैल्यू और बेहतर एक्सपीरियंस देगी, वही आखिर में बाज़ी मारेगी।

कुल मिलाकर:

ChatGPT और Deepseek के बीच ये मुकाबला AI इंडस्ट्री के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। इससे कस्टमर्स को और भी बेहतर और एडवांस AI टूल्स और सर्विसेज़ मिलने की उम्मीद है। साथ ही, ये दोनों कंपनियां लगातार इनोवेशन के लिए मोटिवेटेड रहेंगी, जिससे AI टेक्नोलॉजी का डेवलपमेंट और भी तेज़ी से होगा।

क्या भारत अपना खुद का AI model बना पाएगा?

डॉ संजय वर्मा के अनुसार, भारत को अब दुनिया में पिछलग्गू बनकर नहीं रहना चाहिए। इस सोशल मीडिया और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के ज़माने में, हमें कुछ ऐसा नया और अनोखा लेकर आना होगा जो सबसे अलग हो, और जो लोगों के हित में भी हो। तभी हम किसी और देश से सही मायने में मुकाबला कर सकते हैं, और दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बना सकते हैं।

डॉ वर्मा का यह कहना है कि भारत में प्रतिभा और क्षमता की कोई कमी नहीं है। हमारे युवाओं में रचनात्मकता और तकनीकी ज्ञान का भंडार है। बस जरूरत है तो उन्हें सही दिशा देने की, और उन्हें प्रोत्साहित करने की कि वे लीक से हटकर सोचें, और कुछ ऐसा नया करें जो पहले किसी ने न किया हो।

आजकल सोशल मीडिया और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का बोलबाला है। ऐसे में, हमें इन तकनीकों का इस्तेमाल करके कुछ ऐसा बनाना चाहिए जो लोगों के जीवन को बेहतर बना सके, उनकी समस्याओं का समाधान कर सके, और उन्हें नई राहें दिखा सके।

डॉ वर्मा का यह भी मानना है कि हमें सिर्फ तकनीकी रूप से ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी आगे बढ़ना होगा। हमें अपनी संस्कृति और मूल्यों को साथ लेकर चलना होगा, और एक ऐसा समाज बनाना होगा जो आधुनिक होने के साथ-साथ मानवीय भी रहें।

अगर हम ऐसा कर पाए, तो वह दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया में एक अग्रणी देश के रूप में उभरेगा, और हमारी पहचान सिर्फ एक पिछलग्गू देश की नहीं, बल्कि एक अनोखा और प्रगतिशील देश की होगी।

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