बिहार के लब्ध प्रतिष्ठित वैज्ञानिक डॉ.मानस बिहारी वर्मा कल देर रात (3 मई, 2021) बिहार में दरभंगा स्थित अपने निवास पर अंतिम साँसे ली। 77 वर्षीय डॉ वर्मा की मृत्यु हृदय गति रुक जाने से हुई। इसके साथ ही बिहार ने अपना एक रत्न खो दिया।
मिसाइल मैन डॉ. अब्दुल क़लाम जी के क़रीबी रह चुके डॉक्टर मानस बिहारी वर्मा का नाम भारत के लाइट वेट एयरक्राफ्ट 'तेजस' के निर्माण के गौरव से जुड़ा है। वह तेजस का निर्माण करने वाले दल का नेतृत्व कर चुके हैं। उन्होंने DRDO ( Defence Research Development Organisation) में एयरोनॉटिकल शाखा में 35 वर्षों तक अपनी सेवाएं अर्पित की थीं। उनके योगदान को सम्मान देने के लिए सन 2018 में उन्हें राष्ट्रपति द्वारा "पद्मश्री" से विभूषित किया गया। इससे पूर्व उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई ने "साइंटिस्ट ऑफ द ईयर" से सम्मानित किया था तथा पूर्व प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह ने भी उन्हें" टेक्नोलॉजी लीडरशिप अवार्ड" से नवाज़ा था।
डॉ. वर्मा मूल रूप से बिहार के दरभंगा ज़िले के घनश्यामपुर प्रखंड के बाउर ग्राम के निवासी थे।2019 में जानो जंक्शन के साथ इनकी मुलाक़ात भी बड़ी प्रेरणात्मक रही । डॉक्टर वर्मा द्वारा स्थापित ‘विकसित भारत फ़ाउंडेशन’ दरभंगा-मधुबनी समेत आस पास के कई ज़िलों में अपनी टीम द्वारा वंचित बच्चों को विज्ञान प्रयोगों का प्रदर्शन और कंप्यूटर सिखाने का काम करती है।जानो जंक्शन से बातचीत में उन्होंने हमें बताया था कि चूँकि डॉक्टर वर्मा स्वयं बिहार के बाढ़ ग्रस्त इलाक़ों में अपना बचपन बिता चुके थे, ये इस समस्या को हल करने के लिए कार्यरत रहे और अपने शोध से बिहार को हर साल बाढ़ की व्यथा से मुक्त कराने के लिए तत्पर भी थे। दुर्भाग्यवश, अपने इस शोध को उजागर करने से पहले ही हमने एक रत्न खो दिया ।डॉक्टर मानस बिहारी वर्मा ना सिर्फ़ एक विख्यात वैज्ञानिक थे बल्कि एक ज़िंदादिल इंसान भी थे ।