पियर प्रेशर एक ऐसी परिस्थिति है, जब व्यक्ति अपने साथियों या हमउम्र के लोगों के दबाव में आकर कोई कार्य करता है। यह समस्या खासकर Gen-Z और Gen-Alpha के बच्चों में अधिक देखने को मिलती है और अक्सर किशोरों (teenagers) एवं युवाओं को प्रभावित करती है।
पियर प्रेशर के कारण कई बार युवाओं को सही और गलत के बीच का अंतर समझने में कठिनाई होती है। उन्हें यह डर रहता है कि यदि वे अपने साथियों की बात नहीं मानेंगे, तो वे अलग-थलग पड़ जाएंगे या उनका मज़ाक उड़ाया जाएगा। हर व्यक्ति अपने दोस्तों के समूह में स्वीकार किया जाना चाहता है। इस इच्छा के कारण युवा वे कार्य करने के लिए भी तैयार हो जाते हैं, जो उनके सिद्धांतों या मूल्यों के विपरीत होते हैं।
पियर प्रेशर दो प्रकार का हो सकता है:
अच्छा पियर प्रेशर (Positive Peer Pressure)
युवा अपने साथियों से अच्छी आदतें और अनुशासन सीख सकते हैं।
ऐसे दोस्त जो पढ़ाई, खेल, या किसी अन्य कौशल में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करते हैं, वे एक व्यक्ति को बेहतर बनने में सहायता करते हैं।
सकारात्मक पियर प्रेशर से आत्मविश्वास, परिश्रम और आत्म-सुधार की भावना विकसित होती है।
बुरा पियर प्रेशर (Negative Peer Pressure)
इसमें व्यक्ति को धूम्रपान, शराब, नशीली दवाओं का सेवन, अनुचित व्यवहार, या अन्य हानिकारक गतिविधियों में भाग लेने के लिए मजबूर किया जाता है।
बुरा पियर प्रेशर आत्म-सम्मान को कम कर सकता है और तनाव, चिंता, तथा डिप्रेशन जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है।
खुद पर विश्वास रखें – अपनी ताकत और क्षमताओं को पहचानें। जब आप आत्मविश्वासी होते हैं, तो दूसरों के दबाव में आना मुश्किल होता है।
अपनी राय रखें – बिना किसी डर के अपनी सोच और विचारों को व्यक्त करें। यदि कोई चीज़ सही नहीं लगती, तो उसे करने के लिए हां न कहें।
सही दोस्तों का चयन करें – ऐसे दोस्त बनाएं जो आपको प्रोत्साहित करें और सही मार्गदर्शन दें। जो आपको गलत दिशा में ले जाने का प्रयास करें, उनसे दूरी बनाए रखें।
ना कहना सीखें – यदि कोई कार्य आपको उचित नहीं लगता, तो "नहीं" कहने में संकोच न करें।
मदद मांगें – यदि पियर प्रेशर आपको प्रभावित कर रहा है, तो माता-पिता, शिक्षक या किसी विश्वसनीय व्यक्ति से सलाह लें। मदद मांगना कमजोरी नहीं, बल्कि समझदारी है।
बुरे पियर प्रेशर से निपटना हमेशा आसान नहीं होता, लेकिन जब आप सही निर्णय लेते हैं, तो यह आपके आत्म-सम्मान को बनाए रखता है। सही समय पर आवाज़ उठाना न केवल आपको मजबूत बनाता है, बल्कि अन्य लोगों को भी प्रेरित कर सकता है। कई बार, किसी स्थिति को बदलने के लिए सिर्फ एक व्यक्ति के कदम उठाने की जरूरत होती है!