क्या खास रहा इस सम्मेलन में?
इस सम्मेलन में इस बार भारत, रूस और चीन के बीच एक नई केमिस्ट्री देखने को मिली । यह सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा था जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत समेत अमेरिका के प्रमुख व्यापारिक साझेदारों पर भारी टैरिफ लगा दिए हैं। टैरिफ ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस सम्मेलन को एक अहम वैश्विक सम्मेलन के तौर पर बना दिया।
यह शिखर सम्मेलन भारत, रूस और चीन को एक मंच पर लेकर आ गया। तीनों देशों ने एक साथ आकर अमेरिका को एक बड़ा संदेश दिया है। यह सम्मेलन ऐसे मौके पर हुआ क्योंकि भारत और चीन समेत रूस अमेरिका के टैरिफ युद्ध के बीच एक बेहतर विकल्प तलाशने की कोशिशों में लगा हुआ है।
SCO सम्मेलन के महत्वपूर्ण बिंदु
● चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित 20 से अधिक देशों के नेताओं का स्वागत किया।
● सम्मेलन के दौरान “तियानजिन घोषणा पत्र” जारी किया गया और लाओस को नए संवाद साझेदार (Dialogue Partner) के रूप में स्वीकार किया गया।
● SCO देशों ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की निंदा करते हुए भारत के आतंकवाद विरोधी प्रयासों का समर्थन किया। एक प्रतीकात्मक क्षण में मोदी और पुतिन ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ के पास से गुजरते हुए कूटनीतिक हलचल पैदा कर दी।
● इसके साथ ही रूस के रुख को दोहराते हुए राष्ट्रपति पुतिन के कहा कि यूक्रेन में संकट आक्रमण के परिणामस्वरूप नहीं, बल्कि यूक्रेन के पश्चिमी सहयोगियों द्वारा समर्थित कीव में तख्तापलट के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुआ है।
New world order: क्या बदलेगा?
मोदी, पुतिन और जिनपिंग की दोस्ती और SCO-BRICS की ताकत से वैश्विक शक्ति संतुलन बदल सकता है। भारत और चीन मिलकर अमेरिकी टैरिफ के असर को कम करने की रणनीति तैयार कर रहे हैं। वैकल्पिक ट्रेड कॉरिडोर और पेमेंट सिस्टम विकसित किए जा रहे हैं, जिससे डॉलर का प्रभुत्व चुनौती में आएगा। रेयर अर्थ मेटल्स और अन्य संसाधनों की सप्लाई में सहयोग वैश्विक सप्लाई चेन को अधिक लचीला बनाएगा। वहीं SCO शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ सहयोग की अपील की, जिसे चीन ने समर्थन दिया। पहलगाम हमले के संदर्भ में सभी देशों ने साझा घोषणा में इसकी निंदा की। भारत-रूस रक्षा सहयोग और चीन के साथ क्षेत्रीय सहयोग से एशिया में सुरक्षा और स्थिरता बढ़ने की उम्मीद है।