ब्रिटेन में गूंजा हिमाचल का नाम: भारत के भानु अत्री बने ब्रिटिश रॉयल नेवी के पहले हिंदू धर्मगुरु 
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ब्रिटेन में गूंजा हिमाचल का नाम: भारत के भानु अत्री बने ब्रिटिश रॉयल नेवी के पहले हिंदू धर्मगुरु

हिमाचल प्रदेश के कसौली के भानु अत्री ब्रिटिश रॉयल नेवी में पहले हिंदू धर्मगुरु (चैपलिन) बने हैं। उन्होंने विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया, जिसमें अधिकारी प्रशिक्षण और समुद्री जीवन रक्षा शामिल थे।

Rupam Kumari, JJ News Desk

हिमाचल प्रदेश के कसौली के भानु अत्री ब्रिटिश रॉयल नेवी में पहले हिंदू धर्मगुरु (चैपलिन) बने हैं। उन्होंने विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया, जिसमें अधिकारी प्रशिक्षण और समुद्री जीवन रक्षा शामिल थे। 39 वर्षीय अत्री 2009 में लंदन जाकर पुरोहित का कार्य करने लगे थे। उनके पिता राम गोपाल अत्री ने बेटे की इस उपलब्धि पर गर्व और खुशी जताई।

गढ़खल (कसौली) के भानु अत्री की नियुक्ति ब्रिटिश रॉयल नेवी के पहले हिंदू चैपलिन के रूप में हुई है। पासिंग आउट परेड के बाद वे रॉयल नेवी में पहले गैर-ईसाई धर्मगुरु भी बने हैं।

कौन हैं भानु अत्री?

सितंबर 1986 में कसौली में जन्मे भानु अत्री ने प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती निकेतन सीनियर सेकेंडरी स्कूल, नालवा से पूरी की। इसके बाद उन्होंने शास्त्री की पढ़ाई संस्कृत कॉलेज सोलन से की और फिर दिल्ली से ज्योतिषाचार्य की पढ़ाई पूरी की। 2009 में वे लंदन चले गए और वहां पुरोहित का कार्य करने लगे। उनके पिता राम गोपाल अत्री शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त शास्त्री अध्यापक हैं, जबकि माता लीना अत्री गृहिणी हैं। वर्तमान में भानु अपनी पत्नी और बच्चों के साथ लंदन में रह रहे हैं।

इस पद के लिए कड़ी ट्रेनिंग

भानु अत्री को इस पद पर नियुक्ति पाने के लिए कठिन प्रशिक्षण से गुजरना पड़ा, जिसमें शामिल था:

  • 6 हफ्ते का ऑफिसर इंस्ट्रक्शन

  • 4 हफ्ते का समुद्री प्रशिक्षण युद्धपोत HMS Iron Duke पर

  • 3 हफ्ते का सैन्य चैपलिन की भूमिका पर केंद्रित प्रशिक्षण

भानु उन 148 नए अधिकारियों में से एक थे जिन्होंने इनिशियल ऑफिसर ट्रेनिंग पूरी की। इनमें 17 पुरुष और महिलाएं रैंकों से चुने गए थे, जबकि 13 वारंट ऑफिसर्स को लेफ्टिनेंट पद पर पदोन्नत किया गया।

हिंदू प्रतिनिधित्व को मिलेगा बढ़ावा

ब्रिटिश हिंदू फोरम के अध्यक्ष अनिल भनोट ने कहा कि रक्षा मंत्रालय में करियर के प्रति हिंदू युवाओं में जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है। अक्सर हिंदू युवा इस क्षेत्र में रुचि नहीं लेते, लेकिन सामुदायिक बैठकों और मंदिरों के माध्यम से उन्हें प्रेरित किया जा सकता है। भानु अत्री की यह उपलब्धि वैश्विक स्तर पर हिंदू प्रतिनिधित्व को नया आयाम देगी।

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