
सावन में देवघर का बाबाधाम मंदिर हर बार लगभग 2 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं से भरा रहता था। जहां पूजा-अर्चना के लिए लंबी कतारें लगी होती थीं। आज सावन की पहली सोमवारी को हर- हर महादेव के नाम से गूंजने वाला शहर खामोश रहा।दरअसल कोरोना गाईडलाईन की वजह से देवघर में आयोजित होने वाला श्रावणी मेला स्थगित कर दिया गया है। लेकिन श्रद्धालुओं की श्रद्धा भक्ति में कोई कमी नहीं आई। श्रद्धालुओं ने विभिन्न डिजिटल प्लेटफॉर्म के ज़रिए लाइव टेलिकास्ट द्वारा दर्शन किए।बता दें कि श्रावणी मेला स्थगित होने के बाद देवघर ज़िला प्रशासन सरकार के निर्देशो का सख्ती से पालन करवाती दिखी। पुलिसबलों की तैनाती जगह- जगह कर दी गई है। मंदिर के चारों मुख्य दरवाजों पर कड़ी सुरक्षा की व्यवस्था की गई है। साथ ही बिहार - झारखंड के बॉर्डर को सील कर दिया गया है।लेकिन कुछ ऐसे भी लोग थे जो चोरी छुपे मंदिर में जा पहुंचें बाद में पुलिसकर्मियों की मदद से उन्हें बाहर निकाला गया। जानकारी के अनुसार बाबा धाम मंदिर के बारे में ऐसा माना जाता है कि विष्णु पुराण में इसकी कथा वर्णित है । कलयुग में शिव की पूजा -अर्चना करने से मुक्ति मिल जाती है। भगवान शिव 108 नामों से जाने जाते है। सावन माह में ही समुद्र मंथन हुआ था और सोमवार को ही एक विशेष फल की प्राप्ति हुई थी। मंथन के बाद पहले सोमवार को ऐरावत हाथी की उत्पत्ति हुई थी। लिहाजा आज के दिन पूजन करने से भाग्य में तेज़ी आती है। इस माह का सोमवार काफी कल्याणकारी माना जाता है और आज के दिन गंगा जल और बेलपत्र से शिव को जलाभिषेक करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। माता पार्वती ने भी सोलह सोमवारी का व्रत कर भगवान भोले को पाया था।मंदिर के पुजारी का कहना है कि पिछले 2 सालों से सावन का महीना में श्रावणी मेला का आयोजन नहीं होने से आर्थिक संकट की स्थिति ज़रूर पैदा हुई है ,लेकिन जिला प्रशासन और राज्य सरकार की कोशिश है कि पहले लोगों की जान बचाई जाए इसके बाद अगले साल भव्य तरीके से मेले का आयोजन किया जाएगा